Tuesday 16 August 2011

गांधीवादी अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के विरुद्ध आमरण अनशन

बच्चों के स्कूलों में भर्ती, नौकरी पाने, व्यवसाय करने, पासपोर्ट बनाने,
प्रशासन के चपरासी, अधिकारी
से कोई काम कराने के लिए घूस देना पड़ता है।
शहरों के फुटपाथों पर व्यवसाय करने वालों से
पुलिस की जेब में लाखों रुपए जाते हैं।
पानी, बिजली, स्वास्थ्य सेवाओं में बिना
घूस के कोई काम नहीं होता।
भ्रष्टाचार का राक्षस चारों ओर से
आमजन का रक्त चूस रहा है,
10 करोड़ पार्टी को दो तो एमपी बन जाओ,
50 लाख में एम एलए एवं
एमएलसी के लिए सीटें मिलती है।
वोट खोर महावलियों के अत्याचार से पीड़ित
जनता असहाय होकर वोट देती है और
जो संसद, विधान सभाओं में जाते हैं
मनमाने ढंग से जी भरकर जन-शोषण करते हैं।

जनता, किसान, मजदूर अपनी मेहनत से
पैदावार बढ़ाते हैं। सरकार औने पौने दाम
पर अनाज खरीदती। गोदामों की
छतों से पानी रिस कर लाखों टन अनाज
बर्बाद होता, लाखों टन अनाज
खुले आकाश के नीचे पड़ा रहता
धूप, वर्षा, तूफान में सड़ता।
लाखों लोग भूखसे तड़पते रहते हैं।
अपने बच्चे बेच कर पेट भरते हैं
असहाय होकर आत्म हत्याएं करते हैं
सरकार मूकदर्शक बनी अपनी सफलताओं
के झूठे किस्से गढ़ती, संसद, विधानसभाओं में
गलत बयानबाजी करती, सत्ता पर काबिज है।
हमारे सामने खड़ा है भ्रष्टाचार का दैत्य विकराल
अन्ना हजारे के आह्वान पर आजादी की दूसरी लड़ाई में
मै भी अन्ना के साथ चल रहा हाथ में लिए मशाल।

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