Thursday 12 January 2012

शब्द अस्तित्व

मैं शब्दों का सिपाही हूं
कलम है मेरा अस्त्र
आज दुनिया जिस तरह झेल रही आत्म-विमर्ष
रोटी, आजादी और शांति के लिए
कर रही संघर्ष युद्ध-विद्ध संत्रस्त
मैं  शब्दों से इस लड़ाई में सम्मिलत हूं
कलम है मेरा अस्त्र....
लोभी, लालची, भ्रष्टाचारी सत्ता धारी
पड़ रहे हैं सामान्य जन पर भारी
वे एक के बाद दूसरा, तीसरा, चौथा...
इसी तरह बहुत सारे चक्रव्यूह
बहुत सारे जन-विरोधी तरीके रचते हैं
किन्तु जन-आंदोलनों से बचते हैं
अर्थ जनित अस्थिरता के बीच
अस्तित्व के रक्षार्थ मेरी लड़ाई है
ऐसे में यही सच है कि अस्तित्व संघर्ष-पथ का राही हूं
मैंने भी अपनी शब्द-सेना सजाई है
भूखा ही सही परन्तु शब्द-शाही हूं
मैं शब्दों का सिपाही हूं
जन्म से मृत्यु तक साथ
चलती रहती हमारा यारो
मौन रहते हुए
हमारे आसपास
हमारे भीतर
शब्द-प्रवाह अपनी गति से चलता है
शब्द-वृक्षारोपण जिस तरह से
संवेदना की मिट्टी में पलता है
उसी तरह का फल फूल होता है
शब्द-यारी अस्तित्व की नियति है
जो अत्यंत जरूरी, अत्यंत न्यारी है।
जीवन पर्यंतमय अपने पथ का राही हूं
शब्दों का सिपाही हूं।
                       दिनांक - 12.01.2012


प्रेम की महत्ता
प्रेम हमारे हृदय की
सर्वश्रेष्ट, सुन्दर, सौन्दर्य ग्राही अभिव्यक्ति है
प्रेम जीवन की शक्ति है
किन्तु प्रेम की भाषा अबूझ होती है
जब तक कि आत्म-समर्पण, निष्ठा और
विश्वास के हृदय-रस में
उसे नैवेद्यित नहीं किया जाता
वह सुदृढ़ नहीं कर पाता उसका नाता
प्रेम का संबंध हमारे आचार-विचार से
इस तरह बंधा होता है
हमारी निश्छलता से सधा होता है
प्रेम हमारे भीतर सर्जित शक्तिमान सत्ता है
जीवन में पग-पग पर संबंध-सेतु गढ़ने में प्रेम की
मूल्यवान महत्ता है।
                    -दिनांक - 13.01.2012

No comments:

Post a Comment