सुप्रसिद्ध
कहानीकार, आलोचक एवं संपादक श्री सुरेन्द्र तिवारी के आकष्मिक निधन पर राष्ट्रीय
हिन्दी अकादमी एवं रुपाम्बरा के सभी सदस्य हार्दिक संवेदना प्रकट करते हैं।
इस निधन से अकादमी
की जो क्षति हुई है उसे भर पाना बहुत मुश्किल है।
श्री सुरेन्द्र
तिवारी रूपाम्बरा के प्रारम्भिक अंकों के सह-संपादक तथा रूपाम्बरा परिवार के 50
वर्षों से सहयोगी रहे। वे राष्ट्रीय हिन्दी अकादमी के सचिव थे तथा अखिल भारतीय
राजभाषा सम्मेलनों के संचालन भी किए। वे अकादमी के एक स्तम्भ थे। उनके चले जाने से
अकादमी तथा रूपाम्बरा परिवार अत्यंत दुःखी है। श्री तिवारी की आत्मा की शांति के
लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
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स्वदेश भारती एवं
अकादमी तथा रूपाम्बरा
परिवार
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