Wednesday 31 January 2018

                                 जन-चिन्तन

प्रिय मित्रो, जीवन अमूल्य है और ज्ञान की कोई सीमा नहीं। साहित्य जीवन को
शालीन सभ्य और सुसंस्कृत बनाता है, कविता हृदय को प्रेम समर्पण का मंत्र देती है।
मैं लगभग 6-7 वर्षों से अपनी कविताएं लेख आदि ब्लाग, फेसबुक, ट्यूटर पर दे रहा हूं।
बहुत से मित्रों ने पढ़ा और सराहा है। साहित्य-पाठ्य-परंपरा को जीवित रखना
भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति महत्त्वपूर्ण अवदान देश को साहित्य, कला,
संस्कृति के क्षेत्र में महान बनाता है।

मेरा विनयपूर्ण निवेदन है कि अधिक से अधिक मित्रगण साहित्य लेखन, पाठन से जुड़े,
अपनी प्रतिक्रिया, सलाह, सम्मति को साझा करें।
                                                                  - स्वदेश भारती

उत्तरायण,
331 पशुपति भट्टाचार्य रोड
कोलकता-700 041
(मो.) 91-9903635210
        91-8240178035
       

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