Thursday 11 January 2018

जन-चिन्तन

जीवन की सच्चाई


मैंने देखा बागान में पत्रविहीन टहनियों में हरी कोंपलें मुस्करा रही हैं, किन्ही-किन्ही पेड़ों पर छोटे-छोटे हरे पत्ते हवा में नाच रहे हैं। वसन्त आने की आहट लगी, अब सर्दी जानेवाली है। इस मौसम परिवर्तन को लगातार जन्म से आजतक देखता आ रहा हूं। ठीक नियत समय पर मौसम तेजी से बदल जाते हैं। हमारे जीवन में भी पल-प्रतिपल, दिन-प्रतिदिन, बदलाव आता रहता है। जो आज है, कल नहीं रहेगा। उसका रूप बदल जाता है। रूप-सौन्दर्य, दुख-सुख, हर्ष-विमर्ष, प्रेम-अप्रेम, जीवन-मृत्यु हंसी-आंसू सभी कुछ जीवन परिवर्तन के अधीन होते हैं। प्रकृति और माया हमारे आगे पीछे सर्वत्र, प्रतिक्षण नित नवीन विभिन्न मुद्राओं में अपना नृत्य दिखाती रहती है। इस छलना से हम छले जाते हैं और जीवन में भाग्य-अभाग्य को लेकर चिन्ता करते हैं। मैंने यह जाना है कि प्रकृति की इस परिवर्तन लीला को गहरे से मनन करते हुए जीवन की सच्चाई को स्वीकार करना है।
-स्वदेश भारती

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