राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा और कुछ प्रश्न
राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा में इतनी लोभ-लाभी फितरत क्यो हैं? इस फितरत में झूठ, फरेब, असहिष्णुता, अपसंस्कृति, मानवीय मूल्यों की अवमानना जन-चेतना का भटकाव तथा कुटिल प्रवंचना का अन्तहीन नाटक क्यो? भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के विपरीत विखराव क्यों? लोकतांत्रिक देश की गरिमा को कम करने का दुश्चक्र क्यों? पक्ष-विपक्ष के बीच स्तरहीन निम्नस्तरीय व्यवहार क्या इस तरह के माहौल में क्या देश सर्वांगीण विकास और प्रगति के रास्ते पर चल पाएगा? इन परिस्थितियों में क्या भारतीय अस्मिता खंडित नहीं हो रही है? हम निजी और दलगत लाभ लोभी राजनीति की मानसिकता से निकलकर देश की मर्यादा और विभिन्न धर्मों, जातियों के बीच समन्वय स्थापित करने की दिशा में काम नहीं कर सकते?
-स्वदेश भारती
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